कामां: कस्बे के कल्याण मोहल्ला निवासी वयोवृद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता, सेवानिवृत ग्राम सेवक पदेन सचिव, सामाजिक कार्यकर्ता श्री मुरारी लाल सक्सेना के आकस्मिक निधन पर उनसे व्यक्तिगत रूप से जुड़े लोगों को बहुत दुख हुआ है। स्व श्री मुरारी लाल सक्सेना बहुत नेक दिल मिलनसार के साथ अच्छे समाज सेवी थे। वे हमेशा निस्वार्थ भाव से आम लोगों की मदद को तत्पर रहते थे। उनके जाने से कामां बस्ती को अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य मे संभव नही दिखती। ईश्वर उनके परिवार के सदस्यों, मित्रों, शुभचिन्तकों, रिश्तेदारों को धैर्य व सहनशक्ति प्रदान करे।
मैं अकबर खान निवासी जोधपुर श्री मुरारी लाल सक्सेना के आकस्मिक निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। परमात्मा उन्हें अपने श्री चरणों में ऊंचा स्थान दे।
मुझे याद है जब मोदी सरकार CAA, NPR, NRC को लेकर आई थी उसे समय अमरुका चौराहे पर जो आंदोलन शुरू हुआ था उस आंदोलन को मजबूती देने के लिए कामां कस्बे से एकमात्र व्यक्ति थे श्री मुरारी लाल सक्सेना जो अमरूका पहुंच कर प्रदर्शनकारियों को हिम्मत और हौसला देते थे और यह मानते थे कि यह कानून देश विरोधी है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि 30 जनवरी के अवसर पर स्वर्गीय श्री मुरारी लाल सक्सेना जी ने संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के क्रम में अमरुका चौराहा कैथवाड़ा रोड पर चल रहे अनिश्चितकालीन आंदोलन में सीएए, एनआरसी और एनआरपी विरोधी अधिवक्ता मंच की ओर से विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और वहां पर उपस्थित लोगों को मजबूती से फासीवादी सरकार का मुकाबला करने के लिए उत्साहित किया। सैंतालीस दिन तक चले अमरूका धरना प्रदर्शन में श्री मुरारी लाल सक्सेना ने लगभग 23 दिन तक अपने कामां निवास से अमरूका पहुंचकर भाग लिया।
सभा को संबोधित करते हुए श्री मुरारी लाल सक्सेना जी ने कहा कि “नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 संविधान के मूल भावना के खिलाफ है और यह धर्म के आधार पर भी भेद करता है जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 का खुला उल्लंघन है।”
सक्सेना जी ने एनआरसी, एनपीआर और सीएए के विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली-जयपुर और देश के विभिन्न शहरों में चल रहे आंदोलनों का समर्थन करते हुए अमरूका चौराहा धरना प्रदर्शन का समर्थन किया और साथ ही साथ पुलिस को अपनी सीमाओं में रहने की हिदायत देते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन के साथियों को झूठे मुकदमों में फंसाकर भय पैदा करने की कोशिश की जा रही है, जो निंदनीय है।
उन्होंने कहा था कि पुलिस भी कानून से ऊपर नहीं है और सत्ता के दबाव में पुलिस द्वारा कानून के दुरुपयोग पर जबाबदेही पुलिस की होगी।
सभा में महात्मा गांधी के जीवन संघर्षों और उनके योगदान को याद करते हुए देश को एक रंग में रंगने और धार्मिक जातीय आधार पर बांटने की कोशिशों की निंदा करते हुए विभाजनकारी सीएए, एनआरसी और एनपीआर को रद्द करने की मांग की गई। देश की आर्थिक स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके लिए सरकार की पूंजीपरस्त नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया। अभिव्यक्ति की आजादी को सीमित करने की कोशिशों और पुलिस के राजनैतिक स्तेमाल की श्री सक्सेना के द्वारा घोर निंदा की गई।
संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया और महात्मा गांधी की याद में दो मिनिट का मौन रखा गया। इस दौरान गांधी के हत्यारे मुर्दाबाद, साम्प्रदायिक ताकतें मुरादाबाद, सीएए, एनआरसी और एनआरपी रद्द करो आदि नारे लगाए गए।
~ अकबर खान निवासी जोधपुर