उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश मनोज जैन की बैंच ने शरजील की जमानत अर्जी मंजूर कर ली
नई दिल्ली : उच्च न्यायालय ने दिल्ली दंगों में भाग लेने के आरोप में जैल में बंद शरजील इमाम को जमानत दे दी है। शरजील इमाम ने ट्रायल कोर्ट के 17 फरवरी के बेल नहीं देने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इमाम पर जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दी गई स्पीच में भड़काऊ बातें करने के तहत राजद्रोह का आरोप लगा था, और अब इसी मामले में उन्हें अदालत से राहत मिली है। जज सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बैंच ने इमाम की जमानत याचिका मंजूर कर ली। शरजील इमाम ने इमाम ने अधिकतम सात साल की सजा का आधा हिस्सा काट लेने के आधार पर जमानत मांगी थी। शरजील इमाम की ओर से एडवोकेट तालिब मुस्तफा और अहमद इब्राहिम पेश हुए थे। मीडिया के साथ बात करते हुए शरजील इमाम के वकील एडवोकेट तालिब मुस्तफा ने बताया कि इमाम को यह बेल कथित राजद्रोह से जुड़े भाषणों क मामले में मिली है।
शरजील इमाम के वकील का स्टेटमेंट शरजील इमाम के वकील एडवोकेट तालिब मुस्तफा ने बताया कि इमाम को यह बेल कथित राजद्रोह से जुड़े भाषणों क मामले में मिली है।
इमाम पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच द्वारा दर्ज एफआईआर 22/2020 के तहत मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, शुरू में राजद्रोह के अपराध के लिए मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में यूएपीए की धारा 13 लगाई गई थी। वह 28 जनवरी, 2020 से इस मामले में हिरासत में है। अब कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत दे दी है।
शरजील इमाम के वकील ने बताया कि दिल्ली दंगों से जुड़ा एक और मामला (FIR 59) उनके ऊपर है, जिसपर सुनवाई जुलाई में होनी है। मुस्तफा ने कहा,”यह एक लंबी लड़ाई थी, अब हमें उम्मीद है कि एक आखिरी मामले में भी उन्हें बेल मिल जाएगी, हम काफी पॉज़िटिव होकर काम कर रहे हैं।”
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया था, तब ट्रायल कोर्ट ने कहा था, “हालांकि आवेदक ने किसी को हथियार उठाने और लोगों को मारने के लिए नहीं कहा था, लेकिन उसके भाषणों और गतिविधियों ने लोगों को संगठित किया, जिससे शहर में अशांति फैल गई और यह दंगों के भड़कने का मुख्य कारण हो सकता है।”
लाइव लॉ के मुताबिक पिछले साल जून में शरजील इमाम ने दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दिए गए एक ही भाषण के लिए दो अलग-अलग मामलों में उनके खिलाफ कार्यवाही को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था।